खजूर की खेती कैसे करें, दोस्तों आज आपका हमारे इस ब्लॉग में स्वागत है आज हम यह जानने वाले हैं कि खजूर की खेती कैसे करें। और हमें इसके क्या क्या फायदे हैं और खजूर को खाने से हमारे शरीर में क्या-क्या फायदे मिलते हैं। अधिकांश लोगों को यह नहीं पता है कि खजूर खाने के क्या-क्या फायदे होते हैं वैसे देखा जाए तो खजूर बहुत ही पुराना पेड़ है। खजूर के फल से हम अनेक प्रकार की चीजें तैयार कर सकते हैं जैसे कि आचार कैंडी मुरब्बा आदि।
खजूर के फल को सुखाकर भी हम अनेक प्रकार की वस्तुएं बना सकते हैं। खजूर की खेती गर्म स्थानों पर की जाती है जहां पर अत्यधिक गर्मी हो इसीलिए खजूर की खेती भारत में राजस्थान गुजरात और तमिलनाडु में की जाती है खजूर के पौधे की ऊंचाई लगभग 15 से 25 मीटर तक होती है इसीलिए इस पौधे को ज्यादा बारिश की आवश्कता नहीं होती है।
तो दोस्तों आइए आज के हमारे इस ब्लॉग में हम आपको बताने वाले हैं कि खजूर की खेती कैसे करें, खजूर की खेती कैसे करते हैं इसीलिए आपको हमारी इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़ना है।
Table of Contents
खजूर के लिए उपयुक्त मिट्टी
खजूर की खेती के लिए हमें शुष्क रेतीली मिट्टी की आवश्यकता होती है । जहां पर पानी की मात्रा कम हो वहां पर खजूर की खेती अच्छी तरह से की जाती है । खजूर की खेती सिर्फ शुष्क रेतीली मिट्टी में ही की जाती है पथरीली मिट्टी में खजूर की खेती नहीं की जा सकती क्योंकि खजूर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का PH मान 7 से 8 के बीच में होना चाहिए।
खजूर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान
एकमात्र यही एक पौधा है जिसको अधिक बारिश की नहीं बल्कि अधिक गर्मी की जरूरत होती है ।
खजूर का पौधा शुष्क पौधा होता है इसीलिए इसको उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। खजूर के पौधे को उगने के लिए 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है और फलों को पकते समय 45 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। खजूर के पौधे को अधिक सर्दी और बारिश नुकसान पहुंचाती है इसीलिए खजूर के पौधे को गर्म स्थानों पर उगाया जाता है इसी कारण राजस्थान में अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण खजूर की खेती अधिक मात्रा में की जाती है।
खजूर की उन्नत किस्में
खजूर के पौधे की अनेक किस में पाई जाती है इसके अंदर सबसे अच्छी बात यह होती है कि इसमें नर और मादा दो प्रकार के पौधे पाए जाते हैं इसीलिए हम नर और मादा दोनों पौधों की किस्में अलग-अलग जानेंगे।
मादा प्रजाति
1.बरही
खजूर के बरही प्रजाति अधिक पैदावार देती है इस प्रजाति का पौधा काफी लंबा होता है और फूल भी काफी देर से पकते हैं । लेकिन इनसे पैदावार बहुत अच्छी होती है क्योंकि इसके अंदर एक पौधे से 70 से 100 किलो तक खजूर प्राप्त किए जा सकते हैं।
2. खुनेजी
खुनेजी किस्म का पौधा बहुत जल्दी विकास करता है। इस किस्म के फल बहुत ही लाल होते हैं जो खाने में बहुत ही मीठे होते हैं। इस किस्म मे एक पौधे से लगभग 70 किलो पैदावार होती है।
3. हिल्लवी
इस किस्म का पौधा विकास भी बहुत जल्दी करता है और फल भी बहुत जल्दी देता है। इस किस्म के फल हमें नारंगी रंग के दिखाई देते हैं इसमें हम एक पौधे से 100 किलो तक खजूर प्राप्त कर सकते हैं।
4. जामली
इस किस्म के फल हल्के पीले रंग के होते हैं जो खाने में बहुत ही मीठे होते हैं लेकिन यह फल बहुत ही देरी से पकता है इस प्रजाति का पौधा हमे 100 किलो तक फल दे सकता है।
नर प्रजाति
नर प्रजाति हमें केवल फूल ही देती है इससे हमे फलों की प्राप्ति नहीं की जा सकती है।
1. धनामी मेल
इस प्रजाति में पौधे पर फूल देरी से लगते हैं और एक पौधे पर लगभग 10 से 15 फूल ही प्राप्त किए जा सकते हैं ये फूल केवल 10 दिन तक ही रहते हैं।
2. मदसरी मेल
इस प्रजाति में पौधे पर लगभग 5 फूल ही मिलते हैं । इन फूलों में 4 पराग कण पाए जाते हैं।
खजूर की खेती की तैयारी
खजूर की खेती करने के लिए खेत को अच्छे तरीके से तैयार किया जाता है मिट्टी के अंदर दो से तीन बार हल चलाकर मिट्टी को उलट-पलट किया जाता है। पहले जमीन को अच्छी तरीके से जोता जाता है और फिर उस जमीन को समतल बना दिया जाता है।
पौधे को लगाने से 1 महीने पहले जमीन के ऊपर लगभग 1 मीटर व्यास वाले गड्ढे खोदे जाते हैं और उन गड्ढों के अंदर पुराने गोबर की खाद डाली जाती है और फिर उन गड्ढों को पानी से सींचा जाता हैं।
खजूर के पौधे को लगाने का तरीका और समय
खजूर के पौधे को हम बीज और पौधे दोनों रूप में ही लगा सकते हैं बीज लगाने पर पौधा बहुत देरी से उगता है इसीलिए हमें 6 से 8 मीटर ऊंचाई वाले पौधे लगाने चाहिए ताकि वे जल्दी उग जाए। हम 1 एकड़ में केवल 70 पौधे ही लगा सकते हैं और इन पौधों को लगाने का समय अगस्त माह होता है।
खजूर के पौधे की सिंचाई किस प्रकार की जाती है
अगर हम सिंचाई की बात करें तो खजूर के पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह पौधे उन्हीं स्थानों पर उगाए जाते हैं जहां पर बारिश बहुत कम होती है जब फल पकने का समय होता है तो पौधे के अंदर नमी को बनाए रखने के लिए पौधे की आवश्यकता के अनुसार पानी देने की जरूरत होती है। इसलिए गर्मी मैं 1 महीने में दो बार पानी दिया जाता है और सर्दियों के महीने में पानी की एक बार ही आवश्यकता होती है।
उर्वरक की मात्रा
खजूर के पौधे को ज्यादा खाद की आवश्यकता नहीं होती है 5 साल में केवल 20 से 25 किलो गोबर की खाद जाती है।
खरपतवार
खजूर के पौधे की 1 साल में पांच से छह बार खरपतवार करनी चाहिए। पौधों के बीच में जो जमीन होती है उस पर समय-समय पर जुताई करते रहना चाहिए।
पौधों में लगने वाले रोग और उन रोग के रोकथाम के उपाय
दीमक
दिमक एक इस प्रकार का कीड़ा होता है जो सभी प्रकार के फसल को नष्ट कर देता है दीमक पौधे की जड़ों में लगता है और पौधे को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। दीमक को रोकने के लिए पानी के अंदर क्लोरपाइरीफांस मिलाकर पौधे की जड़ों के अंदर डाल देना चाहिए।
कीट पतंगे
पौधे की पत्तियों पर कीट पतंगे लग जाते हैं जिससे पौधा खराब हो जाता है इन कीट पतंगों को रोकने के लिए आवश्यक कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए।
पक्षी
जब पौधे पर फल लगने लगते हैं तो पक्षी इन फलो को नष्ट करने लग जाते हैं इसकी रोकथाम के लिए हमें पौधे के ऊपर जाली लगा देनी चाहिए ताकि पक्षी इन फलों को नष्ट ना कर पाए।
फलों की तुड़ाई
खजूर का पौधा लगाने के 3 साल बाद उस पर फल लगना शुरू हो जाता हैं और इन फलों की तीन बार तुड़ाई की जाती है एक बार तो तब जब फल पकना शुरू कर देता है दूसरी बार तब तोड़ा जाता है जब फल नरम हो जाता हैं जब फल बिल्कुल सूख जाता है तो तीसरी बार तूड़ाई की जाती है।
कमाई
खजूर की खेती इस प्रकार की खेती होती है जिसके अंदर लागत तो बहुत कम होती है और पैदावार बहुत अधिक होती है एक पौधे से 5 साल के बाद लगभग 100 किलो तक पैदावार होती है । और बाजार के अंदर खजूर की कीमत 30 से ₹45 किलो होती है। इस प्रकार किसान को खजूर की खेती के अंदर बहुत लाभ प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों आपको पता चल गया है कि खजूर की खेती कैसे करें खजूर की खेती किस प्रकार से कर सकते हैं इस पोस्ट के अंदर हमने आपको पौधे को लगाने से फल को पकने तक की संपूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो आप हमारी इस पोस्ट को आगे जरुर शेयर करें।