नमस्कार दोस्तो आपका हमारे ब्लॉग में स्वागत है, आज की हामरी इस पोस्ट में हम आपको माँ दुर्गा की आरती बताने वाले है, क्योकि इस धरती पर बहुत तरह के व्यक्ति रहते है, और सभी अलग-अलग धर्म के है। सभी व्यक्ति अपने धर्म के आधार पर अलग अलग देव देवताओ को मानते है।
दोस्तो माँ दुर्गा को देवी पार्वती का ही दूसरा स्वरूप माना जाता है। क्योकि जहां तक हम सुनते आए है, की इस पूरे ब्र्म्हंद का मालिक एक ही है, पर उसके रूप अनेक है। ठीक उसी तरह ही माँ सारी एक है, पर माता के रूप अनेक है।
आज हम आपको इस पोस्ट के मध्यम से माँ दुर्गा की आरती बताने वाले है, अगर आप माँ दुर्गा को मानते है, तो जब आप उनकी पुजा करते है, तो आप उनकी आरती तो करते ही है। अगर किसी को को माँ की आरती नहीं आती है, तो हम आपको यहा माता की आरती बताने वाले है।
Maa Durga Aarti
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
जय अम्बे गौरी,…।
मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।
जय अम्बे गौरी,…।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।
जय अम्बे गौरी,…।
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।
जय अम्बे गौरी,…।
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।
शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।
जय अम्बे गौरी,…।
चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
जय अम्बे गौरी,…।
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।
जय अम्बे गौरी,…।
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
जय अम्बे गौरी,…।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
जय अम्बे गौरी,…।
भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
जय अम्बे गौरी,…।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।
अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।