नमस्कार दोस्तो आपका हमारे ब्लॉग में स्वागत है, आज की हामरी इस पोस्ट में हम आपको माँ लक्ष्मी की आरती बताने वाले है, क्योकि इस धरती पर बहुत तरह के व्यक्ति रहते है, और सभी अलग-अलग धर्म के है। सभी व्यक्ति अपने धर्म के आधार पर अलग अलग देव देवताओ को मानते है।
दोस्तो माँ लक्ष्मी को देवी पार्वती का ही दूसरा स्वरूप माना जाता है। क्योकि जहां तक हम सुनते आए है, की इस पूरे ब्र्म्हंद का मालिक एक ही है, पर उसके रूप अनेक है। ठीक उसी तरह ही माँ सारी एक है, पर माता के रूप अनेक है।
आज हम आपको इस पोस्ट के मध्यम से माँ लक्ष्मीकी आरती बताने वाले है, अगर आप माँ दुर्गा को मानते है, तो जब आप उनकी पुजा करते है, तो आप उनकी आरती तो करते ही है। अगर किसी को को माँ की आरती नहीं आती है, तो हम आपको यहा माता की आरती बताने वाले है।
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Maa Laxmi Aarti
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥………….
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥………….
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥……………….
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥…………….
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥………………
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥……………..
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥…………….
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥……………